सर्वमनोकामना सिद्धि तथा शत्रु पर विजय हेतु शिव मंत्र
जाप विधि:- भगवान शिव के इस मंत्र का जाप करने वाले भक्तो को चाहिए कि वे सोमवार के दिन प्रातकाल स्नानादि से निवृत होकर शुद्ध आसन पर पूर्वाभिमुख होकर विराजमान होवे तदन्तर मंत्रारम्भ करे | और मंत्र जाप करते समय भगवान शिव का निरंतर स्मरण करते रहे | भगवान शिव के इस सर्वमनोकामना और शत्रु विजय मंत्र का फल पाने हेतु कम से कम 108 से 1108 बार जाप करे | इस प्रकार सोमवार से जाप आरम्भ करने पर प्रत्येक दिन 108 बार इस मंत्र का अगले सोमवार तक जाप करे या मनोकामना प्राप्ति तक मंत्र जाप करे | ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते है और भक्त कि मनोकामना कि पूर्ति अवश्य होती है |
इस मंत्र के जाप करने से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है तथा जमीन-जायदाद आदि विवादों का निपटारा होता है, और शत्रु पर विजय पाने के लिए भी इस मंत्र का उपयोग श्रेष्ठ माना गया है |
Lord Shiva Shankar |
भगवान शिव जो कि सृष्टि के विनाशकर्ता तथा संहारकर्ता है, और हिंदू
मान्यताओं के अनुसार त्रिदेवो में इनका अहम कार्य है वो है संहार करना |
अर्थात देवो के देव महादेव संहारक होते हुए भी जगत का आधार है और भक्तो में
परम और करुना कि मूर्ति है | मनोकामना प्राप्त करने के लिए अर्थात मनोरथ
सिद्ध करने हेतु तथा शत्रु का विनाश करने हेतु इस मंत्र का प्रयोग किया
जाता है |
आदिकाल से ही भगवान शिव को कृपा करने और वर देने के लिए अग्रणी माना जाता
रहा है और भगवन महादेव तो इतने भोले है कि कोई भी भक्त पूर्ण श्रृद्धा से
और पूर्ण समर्पण से उनको जपता है तथा वे प्रसन्न होने पर यह नहीं देखते कि
कौन उनसे क्या वर मांग रहा है, तभी तो इनको भोलेनाथ भी कहा जाता है |
अत: मेरा अभिप्राय यह है कि भगवान भोलेनाथ को भक्त का श्रृद्धा और समर्पण भाव अति प्रिय है और शास्त्रों में कहा भी जाता रहा है कि "भगवान तो प्रेम के भूखे होते है, उन्हें कोई लालच दे तो उसकी उनके सामने क्या बिसात?" अर्थात प्रभु को मानाने के लिए दिखावे और आडम्बर की जरूरत नहीं है, प्रभु को प्रेम और समर्पित भाव से भजने में ही मनुष्य का सच्चा कल्याण है |
अत: मेरा अभिप्राय यह है कि भगवान भोलेनाथ को भक्त का श्रृद्धा और समर्पण भाव अति प्रिय है और शास्त्रों में कहा भी जाता रहा है कि "भगवान तो प्रेम के भूखे होते है, उन्हें कोई लालच दे तो उसकी उनके सामने क्या बिसात?" अर्थात प्रभु को मानाने के लिए दिखावे और आडम्बर की जरूरत नहीं है, प्रभु को प्रेम और समर्पित भाव से भजने में ही मनुष्य का सच्चा कल्याण है |
भगवान शिव के इस मंत्र को जपने वाले भक्तों के कभी भी विपत्तियां नहीं आती
है और उनके सभी कष्टों का निवारण स्वयं भोलेनाथ करते है | सर्वमनोकामना
सिद्धि तथा शत्रु पर विजय प्राप्ति का मंत्र इस प्रकार है:-
In Hindi:-
In English:-
जाप विधि:- भगवान शिव के इस मंत्र का जाप करने वाले भक्तो को चाहिए कि वे सोमवार के दिन प्रातकाल स्नानादि से निवृत होकर शुद्ध आसन पर पूर्वाभिमुख होकर विराजमान होवे तदन्तर मंत्रारम्भ करे | और मंत्र जाप करते समय भगवान शिव का निरंतर स्मरण करते रहे | भगवान शिव के इस सर्वमनोकामना और शत्रु विजय मंत्र का फल पाने हेतु कम से कम 108 से 1108 बार जाप करे | इस प्रकार सोमवार से जाप आरम्भ करने पर प्रत्येक दिन 108 बार इस मंत्र का अगले सोमवार तक जाप करे या मनोकामना प्राप्ति तक मंत्र जाप करे | ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते है और भक्त कि मनोकामना कि पूर्ति अवश्य होती है |
इस मंत्र के जाप करने से सभी तरह की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है तथा जमीन-जायदाद आदि विवादों का निपटारा होता है, और शत्रु पर विजय पाने के लिए भी इस मंत्र का उपयोग श्रेष्ठ माना गया है |
Very nice Article keep posting article like this.lal gunja
ReplyDeletevery informative article contains very knowledge and nice one Ek Mukhi Rudraksha
Please write more article regularly