Mantra For Pitra Dosh Nivaran & Pitra Shanti
पितृदोष क्या है और कैसे होता है:- जब
किसी भी व्यक्ति की कुंडली के नवम पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो
तो यह समझा जाता है कि उसके पितृ दोष योग बन रहा है | भारतीय संस्कृति में
पुराणों और शास्त्रों के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है,
उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है | यह योग व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा
दोष है जो सभी प्रकार के दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष
को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है |
व्यक्ति की कुन्डली का नवम् भाव अथवा घर धर्म का सूचक है तथा यह पिता का घर
भी होता है | इसलिए अगर किसी की कुंडली में नवम् घर में ग्रहों कि स्थिति
ठीक नहीं है अर्थात खराब ग्रहों से ग्रसित है तो इसका तात्पर्य है कि जातक
के पूर्वजों की इच्छायें अधूरी रह गयीं थी अत: इस प्रकार का जातक हमेशा
तनाव में रहता है एवं उसे मानसिक, शारीरिक तथा भौतिक समस्याओं और संकटों का
सामना कारण पडता है |
अत: सपष्ट है कि जातक का नवां भाव या नवें भाव का मालिक
राहु या केतु से ग्रसित है तो यह सौ प्रतिशत पितृदोष के कारणों में माना
जाता है |मुख्यतया: पितृदोष इस आधुनिक युग में पितरों के प्रति अनदेखी और खून के रिश्ते के होकर भी उन्हें भुलाने जैसे आज के इस स्वार्थवादी सभ्यता कि देन है | आजकल के इस आधुनिकरण के युग में न जाने कितने ही लोग रोज अकाल मृत्यु के शिकार हो जाते है अत: इस प्रकार कल के गाल में समाये हुए परिजनों की इच्छाएं अधूरी रह जाती है और वे मृत्युलोक के बंधन से मुक्त नहीं होकर यही भटकते रहते है और यह आशा करते है कि उनके परिजन उनके लिए श्राद्धकर्म तथा तर्पणादि कर उनको इस बंधन से मुक्त कराएँगे | पर जब उनके परिजनों द्वारा उनका तर्पण व श्राद्ध नहीं किया जाता है और यहाँ तक उन्हें याद करने तक का समय भी उनके पास नहीं होता है तब भटकते हुए परिजनों अर्थात पितरों के साथ खून का रिश्ता होने फलस्वरूप भी उनका तिरस्कार करने का फल उन्हें इस पितृदोष के रूप में प्राप्त होता है |
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