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Tuesday, 10 February 2015

महाशिवरात्रि पूजा विशेष तथा शिवरात्रि की महत्ता 2

By Unknown   Posted at  23:53   No comments

          महाशिवरात्रि पूजा विशेष तथा शिवरात्रि की महत्ता - 2






















पूजन विधान:-महाशिवरात्रि के दिन मिट्टी के बर्तन में पानी भरकर, ऊपर से बिल्वपत्र, आक धतूरे के पुष्प, चावल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है तथा उनका पूजन किया जाता है | अगर नजदीक में शिवालय या शिवमंदिर न हो तो घर पर ही शुद्ध गीली मिट्टी से ही शिवलिंग बनाकर उसका विधि पूर्वक पूजन करना उत्तम माना गया है | इस दिन सुबह प्रात:काल में ही नित्य-कर्मों से निवृत होकर भगवान शिव कि आराधना “ऊं नमः शिवाय” मंत्र से सुरु करते हुए पूरे दिन इसी मंत्र का बारम्बार जाप करते रहना चाहिए | इस मंत्र में वह शक्ति है जो किसी अन्य मंत्र में नहीं है अत: श्रृद्धालुओं को चाहिए कि वह शिव पूजन करते समय अधिकाधिक इस मंत्र का जाप करें तथा भगवान भोलेनाथ कि कृपानुभूति प्राप्त करें | तथा इस दिन शिवमहापुराण और रुद्राष्टकम आदि का पाठ अति उत्तम माना जाता है |

महाशिवरात्रि भगवान शंकर का सबसे पवित्र दिन है। इस दिन महाशिव का पूजन तथा स्तुति करने से सब पापों का नाश हो जाता है। तथा मनुष्य के जीवन को नयी दिशा मिल जाती है | ईशान संहिता में महाशिवरात्रि कि महिमा को इस प्रकार बताया गया है:-




एक बार माता पार्वती के ने पूछा कि हे प्रभु आपके भक्तो के लिए आपका अति उत्तम और प्रिय दिन कौनसा है तो महादेव ने उत्तर देते हुए कहा कि फाल्गुन माह कि कृष्ण चतुर्दशी मुझे अत्यंत प्रिय है तथा इस दिन जो भी भक्त मुझ में पूर्ण श्रृद्धा रखते हुए मेरा पूजन करेगा वह मुझे अत्यंत प्रिय होगा तथा उसके कभी भी सुख सम्पदा का आभाव नहीं होगा अत: चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं |

अत: ज्योतिष शास्त्रों में इसे परम शुभफलदायी कहा गया है, वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है | परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही महाशिवरात्रि कहा गया है |

ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य-देव भी इस दिन तक उत्तरायण में प्रवेश कर चुके होते हैं तथा ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यन्त शुभ कहा गया हैं। शिव का अर्थ है कल्याण। शिव सबका कल्याण करने वाले हैं। तभी तो कहा जाता है कि “सत्यम शिवम सुन्दरम” अर्थात सत्य ही शिव है और शिव ही सुन्दर है |

ज्योतिषीय गणित के अनुसार चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अपनी क्षीणस्थ अवस्था में पहुंच जाते हैं। जिस कारण बलहीन चंद्रमा सृष्टि को ऊर्जा देने में असमर्थ हो जाते हैं। चंद्रमा का सीधा संबंध मन से कहा गया है। मन कमजोर होने पर भौतिक संताप प्राणी को घेर लेते हैं तथा विषाद की स्थिति उत्पन्न होती है। इससे कष्टों का सामना करना पड़ता है।
चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर सुशोभित है | अत: चंद्रदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शिव कि शरण में जाना पडता है | और महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तिथि है | अत: सभी ज्योतिषी शिवरात्रि को शिव आराधना कर सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाने का एकमात्र रास्ता मानते है | शिव आदि-अनादि है भगवान भोले तो अनंत है | सृष्टि के विनाश व पुन:स्थापन के बीच की कड़ी है | प्रलय यानी कष्ट,  पुन:स्थापन यानी सुख | अत: ज्योतिष में शिव को सुखों का आधार मान कर महाशिवरात्रि पर अनेक प्रकार के अनुष्ठान करने की महत्ता कही गई है।

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